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राज्यसभा सीट तो मिल गई लेकिन BJP की भीड़ में खो ना जाएं सिंधिया

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ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस छोड़ कर बीजेपी में शामिल हो चुके हैं.अब हिसाब ये लगाया जाए कि उनको वहां क्या मिलेगा.अगर वो मुख्यमंत्री बनते हैं तब तो कहा जाएगा कि उन्होंने ऐसा गेम खेला जिसमें वो कामयाब हो गए और कुछ विधायक अपने साथ लाने के कारण उनको मुख्यमंत्री बना दिया.

अब ऐसा इसलिए नहीं हो सकता क्योंकि बीजेपी ने उनको राज्यसभा की उम्मीदवारी दे दी है यानी वो राज्यसभा जाएंगे और एक केंद्रीय मंत्री बन जाएंगे. मंत्रिमंडल में उनको कैबिनेट का दर्जा मिल सकता है. लेकिन अगर मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह मुख्यमंत्री बन जाते हैं तो ऐसे में राज्य की राजनीति में ज्योतिरादित्य सिंधिया की भूमिका क्या होगी. अभी तक जो बात चल रही थी वो यही थी. सारा झगड़ा इसी बात का था कि कमलनाथ और दिग्विजय सिंह उनको मध्य प्रदेश की राजनीति में वो जगह नहीं दे रहे हैं, जिसके ज्योतिरादित्य काबिल हैं.

कांग्रेस पार्टी की तरफ से कहा जाता है कि 18 साल में उन्होंने ज्योतिरादित्य सिंधिया को 8 प्रमोशन दिए हैं. पार्टी में उनका बहुत सम्मान किया गया. सिंधिया बहुत मेहनत करते हैं और इसकी वजह से उन्हें बहुत कुछ मिला. लोकसभा में डिप्टी लीडर बनकर आए थे और पार्टी में महासचिव बनाए गए थे. तो उनकी जो शिकायत है कि पार्टी में वो जो डिजर्व करते हैं वो नहीं मिला, ये कहना गलत है.ऐसा लगता है कि सिंधिया को ये लग रहा था कि कांग्रेस अब विपक्ष में ही रहने वाली है और राष्ट्रीय राजनीति में उनका रोल नहीं बढ़ रहा या मुख्यमंत्री नहीं बन पा रहे और बीजेपी में जाने का फैसला कर लिया. लेकिन बीजेपी जिन बाहर के लोगों को पार्टी में लेती है, उसका पूरा स्पष्ट मॉडल है. जिस तरीके से वो काम करती है इसे समझ लें-

जैसे असम में हेमंत बिस्वा सरमा को जो जगह मिली या TMC से आने वाले को जो पोजीशन मिलेगी, वहां जहां पार्टी के पास ढांचा ही नहीं है. उस जगह पर नेताओं को ज्यादा रोल मिल सकता है. लेकिन जिस मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान, कैलाश विजयवर्गीय, प्रभात झा, नरोत्तम मिश्रा, नरेंद्र सिंह तोमर मौजूद हैं, वहां ज्योतिरादित्य सिंधिया को क्या पोजीशन मिलेगी.क्या वो अपनी जगह खोज पाएंगे.ऐसी पोजीशन जहां से वो राज्य की राजनीति में असरदार दखल रख सकें. क्या सिंधिया बीजेपी में नई पारी में रहते हुए प्रदेश की राजनीति में अपनी मौजूदगी दर्ज करा पाएंगे.

आपको बता दे कि ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस पार्टी का हाथ छोड़कर बीजेपी का दामन थाम चुके हैं. ऐसे में कुछ रिपोर्ट्स ऐसी भी आ रही हैं कि पार्टी छोड़ने से पहले सिंधिया ने सोनिया गांधी और राहुल गांधी से मिलने की कोशिश की थी लेकिन उन्हें वक्त नहीं दिया गया.अब राहुल गांधी ने इन रिपोर्ट्स को खारिज करते हुए कहा है कि सिंधिया इकलौते कांग्रेस नेता हैं जो उनके घर कभी भी आ सकते थे. राहुल गांधी ने ये भी बताया सिंधिया और उन्होंने स्कूल में एक साथ पढ़ाई की थी.

अधीर रंजन चौधरी बोले- सिंधिया लालच में आ गए

ज्योतिरादित्या सिंधिया के इस्तीफे के बाद कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा- सिंधिया ने कांग्रेस पार्टी में कई वरिष्ठ पदों पर रहे और उनका सम्मान किया,शायद मोदी जी द्वारा दिए गए मंत्रियों के प्रस्ताव के कारण वो लालच में आ गए. हम जानते हैं कि उनका परिवार दशकों से बीजेपी से जुड़ा हुआ है,लेकिन फिर भी यह एक बड़ा नुकसान है.ज्योतिरादित्य सिंधिया को पार्टी से निकाल दिया गया है. हमारे पास कोई दूसरा रास्ता नहीं था,पार्टी से गद्दारी करने वाले के साथ तो ऐसा ही करना पड़ेगा.पार्टी की हालत हमेशा एक समान नहीं होती.उतार-चढ़ाव तो लगा रहता है.बुरे वक्त में पार्टी का साथ छोड़ना सही नहीं है.बता दें कि ज्योतिरादित्य ने अमित शाह और सिंधिया दोनों प्रधानमंत्री मोदी से मिलने उनके आवास पर पहुंचे.तीनों के बीच करीब आधा घंटा तक मुलाकात चली,जिसके बाद सिंधिया ने अपना इस्तीफा कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को भेजा. हालांकि इस बीच पार्टी विरोधी गतिविधियों का हवाला देकर कांग्रेस ने तत्काल प्रभाव से ज्योतिरादित्य सिंधिया को पार्टी से बाहर कर दिया.

उन्होंने आगे कहा,कांग्रेस पार्टी ने उनको राज्यसभा में MP बनने के लिए टिकट दी फिर भी उनको ये रास नहीं आता क्योंकि मोदी जी उनको कह दिए कि तुम्हें हम मंत्री पद देंगे.सिंधिया देख रहे हैं कि मंत्री पद इससे ज्यादा मुनाफे का होगा.

दिग्विजय ने बिना सिंधिया का नाम लिए कहा माफिया

वहीं कांग्रेस के सीनियर लीडर दिग्विजय सिंह ने बिना सिंधिया का नाम लिए कहा कि हमारे पास सबूत हैं कि तीन चार्टर्ड विमान (जो कथित तौर पर कांग्रेस के विधायकों को बेंगलुरु ले गए थे) की व्यवस्था बीजेपी ने की थी. यह मध्य प्रदेश के लोगों के जनादेश को उलटने की साजिश का हिस्सा है क्योंकि कमलनाथ जी ने माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई की है.

सिंधिया के बयान और महत्वपूर्ण तारीख़ें

15 अप्रैल 2019 – पाँच साल पहले एक आदमी आया था आपके सामने वोट बंटोरने, किसान के नाम पर, नौजवान के नाम पर, राष्ट्र के नाम पर. पाँच साल से उस शख़्स का चेहरा नहीं दिखा. और जब दोबारा वोट माँगने की घड़ी आ गई,तो वो फिर आने वाला है आपके सामने.याद रखिएगा कि पाँच साल में वे आपके सामने तो नहीं आए, लेकिन 84 देशों का दौरा किया. उन्होंने अपने लोगों को गले नहीं लगाया, पर विदेशी नेताओं को झप्पी देते दिखे. किसानों का क्या हाल कर दिया इन्होंने. पर प्रधानमंत्री के पास अपने लोगों के लिए समय नहीं है. उनके पास पाकिस्तान में जाकर बिरयानी खाने का समय है. चीन के राष्ट्रपति को घुमाने का समय उन्हें मिल जाता है. मोदी ने नौजवानों से तो कहा था कि हम लाएंगे अवसरों का भंडार, पर लेकर आए पान और पकौड़े वाली सरकार.

18 मार्च 2018 – ये है मोदी जी का न्यू इंडिया. जिस संसद को लोकतंत्र का मंदिर बताया जाता है, उसमें हिटलरशाही लागू करके लोगों की आवाज़ दबाने की कोशिश की जा रही है. मैं मोदी जी और उनकी सरकार को कहना चाहता हूँ कि कांग्रेस पार्टी का एक-एक सांसद और कार्यकर्ता, ना कभी झुका है और ना कभी झुकेगा. चाहे गर्दन कट जाए, पर हम झुकेंगे नहीं, ये एक संदेश हम इस अधिवेशन से देना चाहते हैं. बाबा साहेब भीम राव आंबेडकर ने कहा था कि पाँच ऊंगली रहेंगी तो बिखर जाएँगी. पर ये मुट्ठी बन जाएँ तो देश का उत्थान, देश का विकास सुनिश्चित हो पाएगा. तो हमें मुट्ठी बनकर इस भाजपा का सामना करना होगा.

7 जून 2018 – दिल्ली में बैठे हुए हैं प्रधानमंत्री मोदी जो देश में नोटबंदी कर रहे हैं. और मध्य प्रदेश में बैठे हुए हैं उनके छोटे भाई, मेरे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जो मंदसौर में किसान बंदी कर रहे हैं. और मैं माँग करता हूँ कि जिस व्यक्ति ने नोटबंदी की, जिस व्यक्ति ने किसान बंदी की, उन दोनों से नवंबर के महीने में आप लोग वोट बंदी करके बदला लेना.

1 जनवरी 2018 – जिन्होंने बयान दिया था कि वे मुँह तोड़ जवाब देंगे, आज ये लोग चुप्पी क्यों साधे हुए हैं, एक भी बयान प्रधानमंत्री की तरफ़ से नहीं आया, जबकि हमारे जवान शहीद हुए हैं.

6 फ़रवरी 2017 – सरकार ने काम क्या किया, ये पता नहीं. पर मोदी जी ने ढाई साल में पूरी दुनिया ज़रूर घूम ली है. वे 40-50 देशों की यात्रा कर आये हैं. पर देश उनसे पूछना चाहता है कि अब तक इन यात्राओं का नतीजा क्या निकला. देश के लोगों को इससे क्या फ़ायदा मिला. हिन्दी की पुरानी कहावत है- ‘हाथ कंगन को आरसी क्या, पढ़े लिखे को फ़ारसी क्या’. वास्तविकता है कि वे विदेश में हीरो बन जाते हैं, और देश में ज़ीरो बन जाते हैं.

16 मार्च 2016 – प्रधानमंत्री एक विदेशी शादी में गए किसी को बताए बिना. और आज हमें पठानकोट का सामना करना पड़ रहा है. अगर देश की जनता को आप विश्वास में लोगे, विपक्षी पार्टियों को आप विश्वास में लोगे और उन्हें बताओगे कि द्विपक्षीय वार्ता में किन मुद्दों पर चर्चा हुई तो इसका फ़ायदा होगा. पर सावधानी आपने छोड़ी, तो इसका खामियाज़ा देश और हमारे जवानों को भुगतना पड़ रहा है.

9 मार्च 2015 – मोदी जी ने एक ट्वीट किया था. उन्होंने लिखा था कि हमारे किसानों को उचित दाम नहीं मिलना चाहिए, क्या उन्होंने काम नहीं किया. कृषि को फ़ायदे का धंधा बनाने की बात आपने की थी. कहा था कि किसानों को आय दोगुनी कर देंगे. पर 21 फ़रवरी को जब सर्वोच्च न्यायालय में आपकी सरकार की तरफ से पक्ष रखा गया तो कहा कि ये असंभव है. एक और यू-टर्न आपकी सरकार का.

यह भी पढ़े : ज्योतिरादित्य सिंधिया का भाजपा में प्रवेश यानी अपनी जड़ों की ओर लौटना!

Thought of Nation राष्ट्र के विचार
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