जयपुर रेलवे स्टेशन से अहमदाबाद-आगरा सुपरफास्ट ट्रेन में होलिका दहन वाले दिन अधिकांश यात्री होली मनाने अपने घर जा रहे थे। जैसा कि हर बार घर जाने व होली खेलने की उत्सुकता हर मन में रहती है वैसा इस बार माहौल थोड़ा अलग दिखा। ट्रेन में हर किसी के मन में होली पर कोरोना को लेकर सवाल थे। सुबह करीब 4.15 बजे जयपुर से अहमदाबाद-आगरा सुपरफास्ट ट्रेन चली तो स्लीपर सैकण्ड क्लास में अधिकांश यात्री नींद ले रहे थे। कुछ सीट ना मिल पाने के चलते डिब्बे में इधर उधर टहल रहे थे। डिब्बा खचाखच भरा था। इतने में किसी ने जोर से छींका तो कोरोना एकदम से दिमाग में घर कर गया। अहमदाबाद से आगरा का सफर कर रहे मुनेश ने छींकने के बाद रूमाल भी निकाला तो आस-पास सटे खड़े लोग अलग हो गए। फिर कोरोना को लेकर जिक्र भी शुरू हुआ। जयपुर में इंजीनियरिंग कर रहे अमित ने कोरोना के बारे में बताया कि उसके कॉलेज में भी कोरोना को लेकर एहतियात बरती जा रही है। हॉस्टल में भी हर बार की तरह इस बार होली से पहले कॉलेज स्टूडेंट इक_े नहीं हुए। कोई आयोजन नहीं हुआ। वहीं संगीता जो आगरा की बेटी हैं और अहमदाबाद में अपने परिवार के साथ रहती हैं बताती हैं कि उनकी सोसायटी में भी होली से पहले वाला माहौल हर साल जैसा नहीं था। उधर कुछ लोग कोरोना से होली के माहौल में किसी तरह का फर्क नहीं पडऩे की बात कहते नजर आए। अधिकांश ये बात युवा ही कर रहे थे। वैभव ने बताया कि आगरा में उनके दोस्त इंतजार कर रहे हैं। आगरा पहुंचते ही उनकी मित्र मंडली वैसी ही इक_ी होनी है जैसे हर त्यौहार पर होते आई है। लक्ष्य, उनकी पत्नी पूजा, हरेन्द्र और विश्वास ने भी ऐसे ही तर्क दिए।उधर होली के बाद भाई दौज के दिन कामकाज पर लौट रहे हर किसी के जुबां पर देश की राजनीति की सबसे बड़ी उठापटक थी। ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस का साथ छोड़ चुके थे और बीजेपी के साथ जाना उनका तय हो गया था। मथुरा से जयपुर की यात्रा के दौरान एक सेमीडीलक्स बस में ज्योतिरादित्य सिंधिया शब्द बार-बार गूंज रहा था। कुछ के हाथ में अखबार भी थे। मथुरा से जयपुर जा रही गुंजन जो कि राजनीति शास्त्र की स्टूडेंट थीं उनकी उत्सुकता थी कि ऐसा कैसे हो सकता है। कुछ लोगों का कहना था कि राजनीति में सबकुछ संभव है। यादवेन्द्र, विवेक, रश्मी और दीपक इस मुददे पर चर्चा करते दिखे।
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