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13 साल से नहीं हुआ शेखावाटी उत्सव, कैसे आएंगे पावणे

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सीकर. शेखावाटी में विदेशी पावणों को धोरों में बुलाने के प्रयास कागजी साबित हो रहे हैं। सीकर जिले में 13 साल से शेखावाटी उत्सव का आयोजन भी नहीं हुआ है। इसके बाद भी जिला प्रशासन व पर्यटन विभाग गंभीर नजर नहीं आ रहा है। इस बार सरकार में पर्यटन राज्य मंत्री का जिम्मा भी लक्ष्मणगढ़ विधायक गोविन्द सिंह डोटासरा के पास है। पिछले तीन सालों से जिला स्तर पर इसकी कई बार कवायद भी हो चुकी है, लेकिन धरातल पर कोई प्रयास नजर नहीं आए। एक तरफ पर्यटकों को लुभाने के लिए तरह-तरह के दावे करती है, दूसरी तरफ इस तरह के आयोजनों से दूरी की वजह से स्थानीय उद्यमियों में नाराजगी है। शेखावाटी उत्सव की वजह से यहां विदेशी पर्यटकों की संख्या में इजाफा नहीं हो रहा है।भामाशाह के हाथ खींचते ही टूटी डोरसीकर जिले में उद्योग मेले के दौरान ही शेखावाटी मेले का आयोजन हुआ था। इस दौरान नवलगढ़ के एक ट्रस्ट के सहयोग से कार्यक्रम भी हुए। इनका खर्चा भी ट्रस्ट ने उठाया था। जैसे ही ट्रस्ट ने आयोजन की सहभागिता से दूरी बनाई वैसे ही यह कार्यक्रम भी बंद हो गया।पर्यटकों को लुभाने की थी कवायदपर्यटकों को लुभाने के लिए प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग आयोजन होते है। मांउट आबू से लेकर जैसलमेर में पर्यटन विभाग की ओर से आयोजन किए जाते है। लेकिन शेखावाटी में पर्यटन विभाग की लापरवाही यहां के पर्यटन व्यवसाय की उम्मीदों पर ब्रेक लगा रही है। पिछले साल स्थानीय कारोबारियों ने पर्यटन मंत्री को ज्ञापन दिया था। लेकिन सरकार ने इस दिशा में कोई कदम आगे नहीं बढ़ाया।उद्योग मेला भी हुआ बंदपिछले दस सालों में जिलास्तरीय उद्योग मेलों पर भी अघोषित तौर से बे्रक लग गया है। हालांकि 2015 में विभाग ने खानापूर्ति के तौर पर छोटे स्तर पर आयोजन किए थे। उद्योग मेला बंद होने की वजह से स्थानीय लघु उद्यमियों को मौका नहीं मिल पा रहा है।कोलीड़ा में पारम्परिक गिंदड़ आयोजनसीकर. कोलीड़ा स्थित मुख्य चौक में होली के मौके पर आयोजित नौ दिवसीय गिंदड़ महोत्सव का होली के साथ ही समापन हो गया। गिंदड़ बच्चों, युवाओं व बड़े बुजुर्ग लोगों ने अलग-अलग वेशभुषाएं पहन कर पारम्परिक गिंदड़ का आनंद लिया। आयोजन के नगाड़े, बांसुरी व मजीरों की संगत में नर्तकों ने चढ़े डंका घले गिंदड़ के जोश पूर्ण घोष के साथ उपस्थित लोगों का मनोरंजन किया। अंतिम दिन झाड़ेवा के कलाकारों ने भी गिंदड़ का प्रदर्शन किया। इस आयोजन में हिन्दू व मुस्लिम समाज के लोग मिलजुल कर हिस्सा लेते हैं। गिंदड़ के समापन के बाद गिंदड़ प्रेमी घासीलाल शर्मा की स्मृति में उनके पुत्रों सुरेन्द्र शर्मा व श्रवण शर्मा के सौजन्य से श्रेष्ठ नर्तकों, स्वांग रचियताओं को पुरस्कृत किया गया। इस मौके पर संयोजक मो. याकूब व नगाड़ा वादक सांवरमल शर्मा व अनवर गौरी, बांसुरी वादक विरेन्द्र शर्मा, मजिरा वादक शंकरलाल भार्गव व श्रवण शर्मा आदि संगतकारों का शॉल ओढ़ाकर सम्मान किया गया।

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