पूरण सिंह शेखावत. सीकर. प्रदेश में अब भूमिपुत्रों को अनुदानित बीज वितरण में अब कृषि विभाग और वितरण एजेंसी मनमर्जी नहीं कर सकेगी। लम्बे समय से बीज वितरण में आ रही अनियमितताओं को देखते हुए कृषि विभाग ने वितरण व्यवस्था को बदल दिया है। व्यवस्था के तहत अब किसानों को मिलने वाला अनुदानित बीज क्रय विक्रय सहकारी समिति और ग्राम सेवा सहकारी समितियों के माध्यम से ही दिया जाएगा। इससे कृषि उत्पादन में महत्वपूर्ण बीज वितरण में पारदर्शिता बनी रहेगी। नई व्यवस्था के तहत प्रदेश में रबी सीजन के लिए वितरण व्यवस्था लागू कर दी गई है। मुख्यालय की ओर से बीज पहुंचने के साथ किसानों को फायदा होने लगेगा। गौरतलब है कि रबी सीजन में जिले में दो लाख ६७ हजार से ज्यादा किसान रबी की खेती करते हैं।
अब होगा पंजीयन
अनुदान पर बीज वितरण के लिए किसान को कृषि पर्यवेक्षक के पास पंजीयन कराना होगा। किसान को अपनी जमाबंदी और आधार कार्ड लेकर जाना होगा। इसके बाद कृषि पर्यवेक्षक की ओर से जमीन की जोत के आधार पर बीज की अनुशंषा की जाएगा। अनुशंषा लेकर किसान संबंधित केवीएसस या जीएसएस पर जाएगा।
बदली व्यवस्था
अनुदान पर बीज वितरण की व्यवस्था को लेकर लम्बे समय से किसानों को परेशानी आ रही थी। किसानों को निजी विक्रेताओं की मनमर्जी के कारण अनुदान का बीज नहीं मिल रहा था। कृषि विभाग को मिली शिकायतों के अनुसार निजी विक्रेता किसान को अनुदान का बीज देने की बजाए मनमर्जी से बीज थोप देते थे। मुख्यालय के अनुसार निजी बीज विक्रेता किसी और की जमाबंदी के आधार पर अनुदान का बीज मनमर्जी से चहेतों को देते थे।
विभाग ने जताया नई किस्मों पर भरोसा
कृषि विभाग ने इस बार रबी सीजन में दस वर्ष तक अवधि में प्रचलित उन्नत बीजों पर भरोसा जताया है। चना की दस वर्ष तक की अधिसूचित किस्मों पर अनुदान भी ज्यादा देय है। विभाग के अनुसार चना के बीज पर अनुदान ३५०० रुपए क्विंटल, दस वर्ष से ज्यादा अवधि की अधिसूचित फसलों पर अनुदान २५०० रुपए क्विंटल, सरसों की १५ वर्ष की अधिसूचित किस्मे गिरीराज और ०७४९ को छोडकर अन्य किस्मों पर ३५०० रुपए प्रति क्विंटल का अनुदान दिया जाएगा। हालांकि प्रदेश में किसानों की संख्या को देखते हुए अनुदान पर मिलने वाली बीज की मात्रा कम है।
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