मध्य प्रदेश सरकार में मंत्री पीसी शर्मा ने कहा,राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में चर्चा की गई कि हमारे विधायक जो जयपुर से आए हैं, उनका चिकित्सकीय परीक्षण किया जाना चाहिए.साथ ही हरियाणा और बेंगलुरु में रहने वाले विधायकों का भी चिकित्सकीय परीक्षण किया जाना चाहिए.
कोरोनावायरस की वजह से देश में संकट और मध्य प्रदेश में सियासी तूफान थमने का नाम नहीं ले रहा है.राज्यपाल लालजी टंडन ने 16 मार्च को फ्लोर टेस्ट का आदेश दिया है.हालांकि कोरोनावायरस की वजह से फ्लोर टेस्ट टल सकता है. क्योंकि राज्य सरकार के मंत्री पीसी शर्मा ने कहा है कि जो विधायक बाहर से आए हैं उनका कोरोनावायरस टेस्ट किया जाएगा.वहीं,विधानसभा स्पीकर एनपी प्रजापति ने कहा फ्लोर टेस्ट के बारे में फैसला 16 मार्च को किया जाएगा.
बताया जा रहा है कांग्रेस के बागी विधायक जो बेंगलुरु में है और कांग्रेस के कई विधायक जयपुर रिजॉर्ट में है. इसके अलावा कई विधायक अलग-अलग शहरों से भोपाल पहुंचेंगे. इसे लेकर मंत्री पीसी शर्मा ने कहा,कैबिनेट की बैठक में चर्चा की गई है कि जयपुर से जो विधायक भोपाल पहुंचेंगे उनका कोरोनावायरस टेस्ट किया जाएगा. साथ ही हरियाणा और बेंगलुरु से भी जो विधायक आएंगे उनका भी टेस्ट किया जाएगा.
‘कल फ्लोट टेस्ट होगी ये जरूरी नहीं’
मध्य प्रदेश के मंत्री और निर्दलीय विधायक प्रदीप जायसवाल ने कैबिनेट मीटिंग ने दावा किया कि सरकार के पास जरूरी संख्या है और सीएम को पूरा विश्वास है. उन्होंने ये भी कहा कि सोमवार को फ्लोर टेस्ट हो ये जरूरी नहीं है,अभी कोरोनावायरस चल रहा है
‘फ्लोर टेस्ट के बारे में कल पता चलेगा’
मध्य प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति ने फ्लोर टेस्ट को लेकर कहा है कि वह इस बारे में पहले कुछ नहीं बताएंगे. उन्होंने कहा ये कल ही पता चलेगा की फ्लोर टेस्ट होगा या नहीं. वहीं, उन्होंने कहा कि मैं उन विधायकों की प्रतीक्षा कर रहा हूं, जिन्होंने दूसरे माध्यमों से मुझे अपना इस्तीफा भेजा है.उन्होंने कहा आखिर वे मुझसे सीधे संपर्क क्यों नहीं कर रहे हैं? विधानसभा अध्यक्ष ने कहा मेरे विधानसभा सदस्यों के साथ क्या हो रहा है मुझे चिंता हो रही है. उन्होंने कहा ये राज्य के लोकतंत्र पर सवाल उठाता है.
कमलनाथ खेल सकते हैं यह दाँव
जानकारों की मानें तो मुख्यमंत्री कमलनाथ सरकार न बच पाने के हालात बन जाने पर राज्यपाल को अपना इस्तीफ़ा सौंपकर विधानसभा को भंग करने की सिफारिश कर सकते हैं.कांग्रेस के बचे हुए विधायकों की संख्या 92 है.छह के इस्तीफ़े मंजूर हो चुके हैं.जबकि 16 के लंबित हैं.ऐसे में कुल संख्या 114 हो रही है.राज्यपाल अनुशंसा नहीं मानेंगे तो 114 सीटों पर उपचुनाव के हालात बनेंगे. इतनी सीटों पर उपचुनाव की बजाय मध्यावधि चुनाव का रास्ता विधिवेत्ता ज़्यादा ‘उत्तम’ क़रार दे रहे हैं.
मध्य प्रदेश में ये राजनीतिक हालात ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस छोड़ने के बाद पैदा हुए हैं. होली के मौके पर सिंधिया ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था, जिसके बाद उनके समर्थक 22 विधायकों ने भी अपने इस्तीफे दे दिए हैं. सिंधिया बीजेपी में चले गए हैं और विधायकों के इस्तीफे से कांग्रेस की कमलनाथ सरकार अल्पमत में नजर आ रही है.
हालांकि,विधायकों के इस्तीफों पर अब तक तस्वीर पूरी तरह स्पष्ट नहीं है. इस बीच सोमवार (16 मार्च) से विधानसभा का सत्र शुरू होना है, जिसके मद्देनजर राज्यपाल ने भी कमलनाथ को पत्र लिखकर बहुमत साबित करने के लिए कह दिया है.
राजभवन से सीएम को जारी किए गए पत्र के मुताबिक राज्यपाल ने सीएम को कहा कि मध्य प्रदेश की हाल की घटनाओं से उन्हें प्रथम दृष्टया प्रतीत होता है कि उनकी सरकार ने सदन का विश्वास खो दिया है और ये सरकार अब अल्पमत में है. राज्यपाल ने कहा है कि ये स्थिति अत्यंत गंभीर है और सीएम कमलनाथ 16 मार्च को सदन में बहुमत साबित करें.
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