सरकार ने टेलीकॉम कंपनियों से भारी संख्या में लोगों के पिछले महीने के कॉल रिकॉर्ड मांगे हैं. इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, सरकार ने पिछले महीने में कुछ खास दिनों के रिकॉर्ड मांगे है. सरकार की ये मांग न सिर्फ प्राइवेसी पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन है बल्कि इसको लेकर टेलीकॉम कंपनियों और विपक्ष ने सवाल भी उठाए हैं.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक सरकार ने रिकॉर्ड की मांग टेलीकॉम विभाग के लोकल दफ्तरों के जरिए की है. दिल्ली, आंध्र प्रदेश, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, केरल, ओड़िशा, मध्य प्रदेश और पंजाब के उपभोक्ताओं के रिकार्ड मांगे गए हैं.
कांग्रेस ने मीडिया रिपोर्ट्स का हवाला देते हुए बुधवार को सरकार पर आम लोगों की जासूसी का आरोप लगाया. पार्टी प्रवक्ता मनीष तिवारी ने कहा कि ये प्राइवेसी के अधिकार का भी उल्लंघन है.
CAA प्रदर्शन और दिल्ली चुनाव के समय कॉल रिकॉर्ड पर नजर
12 फरवरी को सेल्यूलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (COAI) ने टेलीकॉम विभाग के सचिव अंशु प्रकाश को एक चिट्ठी लिखकर इन मांगों की शिकायत की. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक COAI ने अपनी चिट्ठी में लिखा कि – रिकॉर्ड की मांग को लेकर जासूसी के आरोप लग सकते हैं, खासकर दिल्ली जैसे इलाके में, जहां बहुत सारे VVIP रहते हैं.रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली के उपभोक्ताओं के 2, 3 और 4 फरवरी के रिकॉर्ड मांगे गए थे.क्या ये सिर्फ संयोग है कि इन्हीं तारीखों के आसपास दिल्ली में CAA के खिलाफ प्रदर्शन हो रहे थे और 6 फरवरी को दिल्ली चुनाव के लिए प्रचार खत्म हुए?
COAI ने अपनी शिकायत में दो मुद्दे उठाए
विभाग ने रिकॉर्ड मांगे जाने का कारण नहीं बताया,किस उपभोक्ता का रिकॉर्ड देना है, नहीं बताया, यानी लाखों लोगों की निगरानी की मांग थी.
नियम क्या कहते हैं?
सिर्फ एसपी या उससे ऊपर रैंक के अफसर ही कॉल रिकॉर्ड मांग सकते हैं और उन्हें भी डीएम को इसकी जानकारी देनी होती है.पुत्तुस्वामी केस 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि नागरिकों की प्राइवेसी का उल्लंघन करने वाले मामलों को चार तरह के टेस्ट से गुजरना जरूरी है-कानून, दायरा, मकसद और प्रक्रिया.
आपको बता दे कि कांग्रेस ने आरोप लगाया कि नरेंद्र मोदी सरकार ने मोबाइल सेवा प्रदाता कंपनियों से देश के नागरिकों के कॉल रिकॉर्ड मांगे हैं जो सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उल्लंघन और निजता के अधिकार पर हमला है.सदन में कार्यवाही के दौरान विपक्षी दल कांग्रेस ने इसे बड़ी चिंता का विषय का बताते हुए मामले में चर्चा की मांग की.कांग्रेस ने आरोप लगाया कि नरेंद्र मोदी सरकार ने मोबाइल सेवा प्रदाता कंपनियों से देश के नागरिकों के कॉल रिकॉर्ड मांगे हैं जो सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उल्लंघन और निजता के अधिकार पर हमला है.
बुधवार को मामले में चर्चा के लिए स्थगन प्रस्ताव का नोटिस लोकसभा महासचिव को देते हुए कांग्रेस के सांसद मनिकम बी टैगोर ने कहा,सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उल्लंघन करते हुए केंद्र सरकार देश में मोबाइल यूजर्स के सीडीआर मांग रहीं है,जो कि बहुत बड़ी चिंता विषय है.
सुबह 11 बजे लोकसभा सदस्य जैसे ही कार्यवाही के लिए सदन में इकट्टा हुए,कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने इस मुद्दे को सदन में उठाने की कोशिश की.उन्होंने कहा, ‘स्पीकर सर… यह सुप्रीम कोर्ट की अवमानना है.’ हालांकि लोकसभा अध्यक्ष ने उन्हें इस मुद्दे पर बोलने की अनुमति नहीं दी. प्रश्नकाल के दौरान भी उन्होंने इस मुद्दे को उठाने की कोशिश की.
लोकसभा में दूरसंचार मंत्री रविशंकर प्रसाद जब बीएसएनएल में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना पर आरएसपी सांसद एन के प्रेमचंद्रन द्वारा पूछे गए सवाल का जवाब दे रहे थे,तब मनीष तिवारी एक बार फिर खड़े हुए और प्रसाद से पूछा,टेलीफोन की व्यापक निगरानी क्यों हो रही है? ऐसा क्यों हो रहा है? आप सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उल्लंघन क्यों कर रहे हैं? आप निजता के अधिकार का उल्लंघन क्यों कर रहे हैं? कृपया इसका जवाब दीजिए.दूरसंचार मंत्री ने उनके इन सवालों का कोई जवाब नहीं दिया.
इसके बाद मनीष तिवारी ने संसद परिसर में संवादाताओं से कहा कि सुप्री कोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा था कि निजता का अधिकार मौलिक अधिकार है.यह सरकार उस फैसले का लगातार उल्लंघन कर रही है.
तिवारी ने मीडिया में आई कुछ खबरों का हवाला देते हुए कहा,आज जो खबरें सामने आई हैं उनसे यह साफ होता है कि एक षड़यंत्र को सुनियोजित तरीके से अंजाम दिया जा रहा है.सरकार ने सारे नागरिकों के कुछ चुनिंदा दिनों के कॉल रिकॉर्ड मोबाइल सेवा प्रदाता कंपनियों से मांगे हैं.उन्होंने सवाल किया कि हम सरकार से यह पूछना चाहते हैं कि इसका औचित्य क्या है? कांग्रेस ने दावा किया, ‘2013 में यूपीए सरकार ने संबंधित कानून को चुस्त-दुरुस्त किया था.भाजपा सरकार सारे नियमों का उल्लंघन करते हुए नागरिकों के अधिकारों पर हमले कर रही है.
Thought of Nation राष्ट्र के विचार
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