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कैसी विडम्बना…फूल बीन लिए अब गंगाजी में विसर्जन का इंतजार कर रही हैं अस्थियां

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सीकर. कोरोना से बचने के लिए बरती जा रही लापरवाही के बीच सतर्कता भी कम नहीं है। शादी विवाह जैसे आयोजन के साथ मौत के बाद दी जाने वाली संवेदनाओं में भी बदलाव हो गया है। अब सामूहिक बैठक ना कर फोन पर ही संवेदना स्वीकार की जा रही है। इसके साथ ही अस्थियों का गंगा विसर्जन भी नहीं हो पा रहा है। श्मशान घाट में एकत्र कर रखी गई अपनों की चिता की भस्मी इसकी गवाह है।
रोका अंतिम पड़ावअंतिम संस्कार के बाद परिजन अपनों के फूल (हड्डियां) हरिद्वार गंगा में प्रवाहित करते हैं। वहीं भस्मी को लोहार्गल तीर्थस्थल पर ले जाया जाता है। भस्मी को प्रवाहित करना अंतिम संस्कार का आखिरी पड़़ाव माना जाता है। लेकिन कोरोना के संक्रमण के इस आखिरी पड़ाव को रोक दिया है। परिवार के लोगों ने भस्मी को श्मशान घाट में कट्टों में भरकर रख दिया है। पिछले 15 दिन से यह स्थिति है। लॉक डाउन टूटने के बाद इन्हें तीर्थ स्थल पर प्रवाहित किया जाएगा।
घर से ही श्रद्धांजलिकोरोना के संक्रमण के चलते जिले में शोक बैठकें भी निरस्त हो गई हैं। धार्मिक क्रियाएं केवल परिवार के लोग ही कर रहे हैं। क्षेत्र के भूमा बड़ा गांव में पुरूषोत्तम लाल शर्मा का निधन होने पर परिवार के लोगों ने रिश्तेदारों और पहचान वालों को व्हाट्सऐप पर संदेश भेजकर अपने ही घर में पांच मिनट का मौन रखकर उनके पिता को श्रद्धांजलि देने का आग्रह किया है। परिवार के लोगों ने बताया कि उनके घर में 29 मार्च को एक दिवसीय बैठक रखी गई है, लेकिन सभी से आग्रह किया गया है कि वे अपने घर में ही मौन रखकर श्रद्धांजलि अर्पित करें।

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