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एक दिन के काम में ढाई महीने लगा रहा परिवहन विभाग, चक्कर काट परेशान हो रही जनता

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सीकर. लर्निंग लाइसेंस जारी करने में सीकर जिला फिसड्डी साबित हो रहा है। आवेदन कर्ताओं को लर्निंग लाइसेंस के लिए भी दो से ढ़ाई महीने का इंतजार करना पड़ रहा हैं। ऐसे में दूर-दराज अन्य जिलों में मजदूरी करने वाले लोगों को भारी परेशानी झेलनी पड़ रही हैं। लाइसेंस के अभाव में अधिकांश वाहन चालकों को नौकरी छोडकऱ घर बैठना पड़ रहा हैं। सीकर में लर्निंग के लिए एक से डेढ़ महीने बाद की तारीख मिल रही हैं। स्थाई लाइसेंस के लिए भी 15 से 20 दिन इंतजार करना पड़ रहा है। जबकि जयपुर व जोधपुर जैसे महानगरों में सीकर से कई गुणा अधिक लाइसेंस जारी होने के बावजूद वहां 15 से 20 दिन बाद की तारीख लोगों मिल रही है। स्थाई लाइसेंस भी तुरंत जारी हो रहे है।
जानकारी के अनुसार सीकर आरटीओ ऑफिस में रोजाना पांच-पांच बैच बनते है। प्रत्येक बैच में स्थाई व हैवी लाइसेंस के 32 स्लॉट और लर्निंग लाइसेंस के 20 स्लॉट जारी होते है। ऐसे में हर दिन स्थाई व हैवी के 160 लाइसेंस तथा लर्निंग के 100 लाइसेंस जारी होते है। सूत्रों के मुताबिक जब तक विभाग की ओर से स्लॉट नहीं बढ़ाए जाएंगे यह परेशानी बनी रहेगी। इधर, परिवहन विभाग के पास स्लॉट जारी करने वाला इंस्पेक्टर भी एक ही है जो हर दिन केवल 30 के करीब स्लॉट ही जारी कर सकता है।
दस से 15 दिन में पहुंच रही डाकलाइंसेंस बनने के बाद भी डाक व्यवस्था कमजोर होने के चलते डाक पहुंचने में भी 10 से 15 दिन का समय लग रहा हैं। शहर की बकरा मंडी के पास रहने वाले मोहम्मद सद्दाम व मोहम्मद ताहिर ने लर्निंग लाइसेंस के लिए 5 सितंबर को आवेदन किया। इनके अलावा राम गोपाल ने भी उसी दिन लर्निंग लाइसेंस के लिए आवेदन किया। इन तीनों को परिवहन विभाग सीकर से 16 अक्टूबर की तारीख मिली है।
माह बगैर गैर लाइसेंस गैर स्थाई लाइट लाइसेंस हैवी डूब्लीकेट रिनिवलजुलाई 15 1600 1585 216 295 2036
अगस्त 14 1145 1134 192 315 1795
इनका कहना हैलाइसेंस बनाने के लिए स्लॉट के संबंध में मुख्यालय से निर्धारित है। हम अपने स्तर पर स्लॉट नहीं बढ़ा सकते है। लर्र्निग लाइसेंस में भी एक से डेढ़ महीने बाद की तारीख मिल रही है। इसकी मुझे फिलहाल जानकारी नहीं है। अगर ऐसा है तो फिर हमें भी जयपुर की तर्ज पर काम करना पड़ेगा। अगर एक इंस्पेक्टर की लिमिट से ज्यादा का काम होता है, तो हम दूसरे इंस्पेक्टर भी बुला लेते हैं।सतीश कुमार, आरटीओ सीकर

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